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Title:chhal chhal chhalake in aankhon kee gagariyaa Movie:Janam Janam Singer:Kavita Krishnamurthy, Mohammed Aziz Music:Laxmikant, Pyarelal Lyricist:S H Bihari
हो छल छल छलके इन आँखों की गगरिया ये ज़ालिम जवानी तड़पाए
मलमल की ये हल्की चुनरिया कि जितना संभालूं गिर जाए
हो छल छल छलके ...
अपने ही चंचल मन को कोसूं काहे को निकली थी बजरिया
किसने नज़रिया के तीर चलाए छलनी हो गई मोरी चुनरिया मोरी चुनरिया
देखो रे सखी कहीं भाग न जाए मोहे करके वो ज़ख्मी
हाय छल छल हे छल छल ...
ऐ रुक एक मधुबन की हिरनिया कन्हैया तोरी नगरी में आए
एक झलक बस दरस दिखा दे काहे चुनरी में मुखड़ा छिपाए
ऐ रुक एक मधुबन की ...
अपना भी दिल प्रेम दीवाना तुमरा अकेला दोष नहीं
आया कहां से जाना कहां है इतना भी अब तो होश नहीं
तोहरी नगरिया की उलझी डगरिया हो
जैसे जोगनिया हो लट उलझाए
रुक रुक हे रुक रुक ...
ओ धरती चले आकाश को छूने लेके उठे जब अंगड़ाई
पर कितना है भोला तू परदेसिया तोरी अकल पे मैं शरमाई
होते हैं जवानी के दिन ऐसे जैसे चिड़िया के पर लग जाएं
छल छल ...