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guzaree thee raat aadhee kaamosh thaa zamaanaa
Title:guzaree thee raat aadhee kaamosh thaa zamaanaa Movie:Surang Singer:Lata Mangeshkar Music:Shivram Krishna Lyricist:Shevan Rizvi
गुज़री थी रात आधी खामोश था ज़माना
जलते हुए दिलों का सुन ले ज़रा फ़साना
गुज़री थी रात आधी
उठी जो आह धुआँ बनके आशियानों से
सितारे झाँक के बोले ये आसमनों से
धुआँ ये कैसा है देखो लगी है आग कहीं
चलो घठाओं से कह दें कि जल रही है ज़मीं
गुज़री थी रात आधी...
ये शोर चाँद भी तारों का सुन रहा था कहीं
लगा इशारों से कहने नही ये बात नही
ज़मीन पर जो बेचारे गरीब बसते हैं
घमों कि आग मे ये दिल उन्ही के जलते हैं
गुज़री थी रात आधी..
सितारे बोले समन्दर मे क्या रवानी नही
बुझादे आग को क्या बादलों मे पानी नही
कहा ये चाँद ने जब दिल मे आग लगती है
तो बादलों से नही आँसुओं से बुझती है
गुज़री थी रात आधी..