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Title:kal raat zindagee se mulaaqaat ho gaee Movie:Palki Singer:Mohammad Rafi Music:Naushad Lyricist:Shakeel Badayuni
कल रात ज़िन्दगी से मुलाक़ात हो गई
लब थरथरा रहे थे मगर बात हो गई
कल रात ज़िन्दगी ...
एक हुस्न सामने था क़यामत के रूप में
एक ख़्वाब जल्वागर था हक़ीक़त के रूप में
चेहरा वही गुलाब की रंगत लिए हुए
नज़रें वही पयाम-ए-मुहब्बत लिए हुए
ज़ुल्फ़ें वही कि जैसे धुँधलका हो शाम का
आँखें वही जिन आँखों पे धोखा हो जाम का
कुछ देर को तसल्ली-ए-जज़्बात हो गई
लब थरथरा रहे ...
देखा उसे तो दामन-ए-रुख़्सार नम भी था
वल्लाह उसके दिल को कुछ एहसास-ए-ग़म भी था
थे उसकी हसरतों के ख़ज़ाने लुटे हुए
लब पर तड़प रहे थे फ़साने घुटे हुए
काँटे चुभे हुए थे सिसकती उमंग में
डूबी हुई थी फिर भी वो वफ़ाओ के रंग में
दम भर को ख़त्म गर्दिश-ए-हालात हो गई
लब थरथरा रहे ...
ए मेरी रूह-ए-इश्क़ मेरी जान-ए-शायरी
दिल मानता नहीं कि तू मुझसे बिछड़ गई
मायूसियाँ हैं फिर भी मेरे दिल को आस है
महसूस हो रहा है के तू मेरे पास है
समझाऊँ किस तरह से दिल-ए-बेक़रार को
वापस कहाँ से लाऊँ मैं गुज़री बहार को
मजबूर दिल के साथ बड़ी घात हो गई
लब थरथरा रहे ...