kisee kee shaam-e-saadagee sahar kaa rang paa gaee

Title:kisee kee shaam-e-saadagee sahar kaa rang paa gaee Movie:Kalaam-E-Mohabbat (Non-Film) Singer:Ghulam Ali Music:Allahuddin Khan Lyricist:Sant Darshan Singh Ji Maharaj

English Text
देवलिपि


किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई
सबा के पाँव थक गये मगर बहार आ गई

चमन की जश्न-गाह में उदासियाँ भी कम न थीं
जली जो कोई शम्म-ए-गुल कली का दिल बुझा गई

बुतान-ए-रंग-रंग से भरे थे बुतकदे मगर
तेरी अदा-ए-सादगी मेरी नज़र को भा गई

मेरी निगाह-ए-तिश्ना-लब की सर-ख़ुशी न पूछिये
के जब उठी निगाह-ए-नाज़ पी गई पिला गई

ख़िज़ा का दौर है मगर वो इस अदा से आये हैं
बहार दर्शन-ए-हज़ीं की ज़िंदगी पे छा गई