mareez-e-muhabbat unheen kaa fasaanaa - - munni begum

Title:mareez-e-muhabbat unheen kaa fasaanaa - - munni begum Movie:non-Film Singer:Munni Begum Music:unknown Lyricist:Qamar Jalalvi

English Text
देवलिपि


मरीज़-ए-मुहब्बत उंहीं का फ़साना
सुनाता रहा दम निकलते निकलते
मगर ज़िक्र-ए-शाम-ए-अलम जब्कि आया
चिराग़-ए-सहर बुझ गया जलते जलते

इरादा था तर्क-ए-मुहब्बत का लेकिन
फ़रेब-ए-तबस्सुम में फिर आ गए हम
अभी खा के ठोकर सम्भलने न पाए
कि फिर खाई ठोकर सम्भलते सम्भलते

अरे कोई वादा ख़लाफ़ी की हद है
हिसाब अपने दिल में लगा कर तो देखो
क़यामत का दिन आ गया रफ़ता रफ़ता
मुलाक़ात का दिन बदलते बदलते

उंहें ख़त में लिखा कि दिल मुज़्तरिब है
जवाब उन का आया मुहब्बत न करते
तुम्हें दिल लगाने को किसने कहा था
बहल जाएगा दिल बहलते बहलते

हमें अपने दिल की तो परवा नहीं है
मगर डर रहा हूँ ये कम्सिन की ज़िद है
कहीं पाए नाज़ुक में मोच आ ना जाए
दिल-ए-सख़त्जाँ को मसलते मसलते

वो महमाँ हमारे हुए भी तो कब तक
हुई शम्मा गुल और न डूबे सितारे
क़मर किस क़दर उनको जलदी थी घर की
वो घर चल दिये चाँदनी ढलते ढलते