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Title:nafarat se jinhen tum zamaane kee aankhon ne Movie:Ek Bar Muskuraa Do Singer:Mohammad Rafi Music:O P Nayyar Lyricist:S H Bihari
नफ़रत से जिन्हें तुम देखते हो
तुम मारते हो जिन्हें ठोकर
क्या उन पे गुज़रती है देखो
एक बार कभी घायल हो कर
ज़माने की आँखों ने देखा है यारों
सदा अपनी दुनिया में ऐसा नज़ारा
कभी उनको फूलों से पूजा है सबने
कभी जिनको लोगों ने पत्थर से मारा
ज़माने की आँखों ...
पिसे न जहाँ तक पत्थर पे मेंहदी
किसी भी तरह रंग लाती नहीं है
हज़ारों जगह ठोकरें खा न ले जब तक
कोई ज़िन्दगी मुस्कराती नहीं है
बिना खुद मरे किसको जन्नत मिली है
बिना दुख सहे किसने जीवन सँवारा
ज़माने की आँखों ...
भँवर से जो घबरा के पीछे हटे हैं
डुबो दी है मौजों ने उनकी ही नैया
जो तूफ़ाँ से टकरा के आगे बढ़े हैं
बिना कोई माँझी बिना ही खिवईया
कभी न कभी तो कहीं न कहीं पर
हमेशा ही उनको मिला है किनारा
ज़माने की आँखों ...
यहाँ आदमी को सबक दोस्ती का
सिखाते हुए जो लहू में नहाया
मसीहा बना और गाँधी बना वो
हज़ारों दिलों में यहाँ घर बनाया
उन्हीं की बनी हैं यहाँ यादग़ारें -२
उन्हीं का ज़माने में चमका सितारा
ज़माने की आँखों ...