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zindaa hoon is tarah ki gam-e-zindagee naheen
Title:zindaa hoon is tarah ki gam-e-zindagee naheen Movie:Aag Singer:Mukesh Music:Ram Ganguly Lyricist:Behzad Lucknowi
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं
ज़िन्दा हूँ ...
वो मुद्दतें हुईं हैं किसीसे जुदा हुए
लेकिन ये दिल कि आग अभी तक बुझी नहीं
ज़िन्दा हूँ ...
आने को आ चुका था किनारा भी समने
खुद उसके पास ही मेरी नैय्या गई नहीं
ज़िन्दा हूँ ...
होंठों के पास आए हँसी, क्या मज़ाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं
ज़िन्दा हूँ ...
ये चाँद ये हवा ये फ़िज़ा, सब हैं माद्मा
जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं
ज़िन्दा हूँ ...