zulmat-kade men mere shab-e-gam kaa josh hai - - rafi

Title:zulmat-kade men mere shab-e-gam kaa josh hai - - rafi Movie:non-Film Singer:Mohammad Rafi Music:Khaiyyam Lyricist:Ghalib

English Text
देवलिपि


ऐ ताज़ा वारेदान-ए-बिसात-ए-हवा-ए-दिल
ज़िन्हार गर तुम्हें हवस-ए-नाव-नोश है

देखो मुझे जो दीदा-ए-इबरत-निगाह हो
मेरी सुनो जो गोश-ए-नसीहत-निओश है

य शब को देखते थे के हर गोश-ए-बिसात
दामान-ए-बाग़बान-ओ-कफ़-ए-गुल-फ़रोश है

या सुबह-दम जो देखिये आकर तो बज़्म में
नै वो सूरूर-ओ-शोर न जोश-ओ-खरोश है

दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
इक शम्मा रह गई है सो वो भी खमोश है

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है
इक शमा है दलील-ए-सहर सो खमोश है