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gulashan kee faqat phoolon se naheen - - jagjit singh
Title:gulashan kee faqat phoolon se naheen - - jagjit singh Movie:non-Film Singer:Jagjit Singh Music:Jagjit Singh Lyricist:Saba Afghani
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं
कांटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिये इस दुनिया में
ग़म की भी ज़रूरत होती है
ऐ वाइज़-ए-नादान करता है
तू एक क़यामत का चर्चा
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं
यहाँ रोज़ क़यामत होती है
वो पुरसिश-ए-ग़म को आये हैं
कुछ कह न सकूं चुप रह न सकूं
ख़ामोश रहूँ तो मुश्किल है
कह दूँ तो शिकायत होती है
करना ही पड़ेगा ज़क़त-ए-अलम
पीने ही पड़ेंगे यह आँसू
फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ां से ऐ नादान
तौहीन-ए-मोहब्बत होती है
जो आके रुके दामन पे सबा
वो अश्क़ नहीं हैं पानी है
जो आँसू न छलके आँखों से
उस अश्क़ की क़ीमत होती है